US-Pakistan Tie: जियो-पॉलिटिक्स में अमेरिका हमेशा से डबल गेम खेलने के लिए कुख्यात रहा है। खासकर भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका की कोशिश हमेशा यही रही है, कि ये दोनों देश कभी शांति से नहीं रह पाएं और इसके लिए वो वक्त वक्त पर पैंतरेबाजी करता रहता है।भारत की आजादी के बाद से अमेरिका की विदेश नीति डबल गेम खेलने की रही है और पिछले पांच सालों से पाकिस्तान से पूरी तरह से किनारा करने के बाद अमेरिका ने एक बार फिर से पाकिस्तान के साथ गलबहियां करनी शुरू कर दी है, जबकि अमेरिका में लगातार पाकिस्तान की अफगानिस्तान-तालिबान नीति को लेकर गुस्सा रहा है।
पाकिस्तान से अमेरिका का फिर गुटरगूं
सत्ता में आने के बाद से बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान से पूरी तरह से दूरी बना रखी थी और लगातार भारत के साथ संबंधों को विस्तार दे रहा था। राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन ने ना ही तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को ही एक फोन किया और ना ही इमरान खान को सत्ता से हटाकर प्रधानमंत्री बनने वाले शहबाज शरीफ को।लेकिन, अब जब बाइडेन प्रशासन का कार्यकाल अपने अंतिम महीनों की तरफ जा रहा है, तो बाइडेन प्रशासन अमेरिका को लेकर एक के बाद एक कदम उठा रहा है, जिससे संकेत मिल रहे हैं, कि पाकिस्तान और अमेरिका के इतिहास को देखते हुए भारत अभी से ही सतर्क हो जाए।पाकिस्तान में हुए संदिग्ध आम चुनाव को साइड में रखकर ना सिर्फ जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को पिछले हफ्ते चिट्ठी लिखी है, बल्कि अब अमेरिकी विदेश विभाग ने अमेरिका-पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने का ऐलान किया है।दरअसल, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक ट्वीट के जरिए बताया है, कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार से टेलीफोन पर बात की है और प्रतिबद्धता जताई है, कि यूएस-पाकिस्तान पार्टनरशिप को मजबूत करने की दिशा में अमेरिका काम करेगा।
बकि, अब ये अमेरिका भूल चुका है, कि पाकिस्तान में हुए चुनाव में किस हद तक धांधली की गई है और कैसे इमरान खान को सलाखों में कैद कर सेना ने एक फर्जी चुनाव करवाया है।पिछले हफ्ते (30 मार्च) ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज़ शरीफ को एक पत्र लिखकर पाकिस्तान का लगातार समर्थन करने का इरादा जताया था। और इस बात पर प्रकाश डाला था, कि दोनों देशों के बीच संबंध द्विपक्षीय और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन का अपने कार्यकाल के दौरान किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के साथ पहला आधिकारिक कम्युनिकेशन था।ये वही बाइडेन प्रशासन है, जो भारत के आंतरिक मामलों में बार बार बयान जारी कर दखल दे रहा है, लेकिन पाकिस्तानी चुनाव में इतनी बड़ी धांधली पर आंख मुंदे बैठा रहा, जबकि उनकी खुद की डेमोक्रेटिक पार्टी के दर्जन भर सांसदों ने उनसे अनुरोध किया था, कि पाकिस्तानी चुनाव में भयानक धांधली हुई है, लिहाजा चुनाव को मान्यता ना दी जाए। फिर भी बाइडेन प्रशासन की कानों पर जूं नहीं रेंगी।बाइडेन ने अपनी चिट्ठी में लिखा था, कि “हमारे लोगों और दुनिया भर के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमारे राष्ट्रों के बीच स्थायी साझेदारी महत्वपूर्ण बनी हुई है और संयुक्त राज्य अमेरिका, हमारे समय की सबसे गंभीर वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा।”
भारत को सतर्क रहने की जरूरत!
बाइडेन प्रशासन के मन में फिर से पाकिस्तान को लेकर प्रेम जागने के बाद भारतीय एक्सपर्ट्स उनकी मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं।भारत के फॉरेन रिलेशन एक्सपर्ट सुशांत शरीन ने ट्वीट करते हुए लिखा है, कि “मजबूत और समृद्ध साझेदारी”??? हम सभी ने देखा है, कि 2001-2021 तक यह साझेदारी कितनी “मजबूत” थी। जहां तक “समृद्ध” की बात है, इसने (साझेदारी ने) जनरलों को समृद्ध किया है (पापा जॉन्स पिज्जा रेस्टोरेंट्स, सैन्य जनरलों के बच्चों के लिए स्कॉलरशिप, फैंसी अपार्टमेंट… और इसने पाकिस्तान के लोगों को कैसे गरीब बना दिया है। लेकिन हां, अपनी कल्पना को जीवित रखें और भीख हासिल करते रहें और बगीचे के रास्ते पर शाही सवारी करते रहें।”सुशांत शरीन का इशारा पाकिस्तानी सेना को लेकर था, जिसे अमेरिका ने लगातार फंड किया है। और पाकिस्तानी जनरलों के पास अमेरिका और ब्रिटेन में अरबों डॉलर की प्रॉपर्टीज हैं, जबकि उनके बच्चे इन्हीं देशों में पढ़ते हैं।भारत एक और विदेश नीति एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने भी पाकिस्तान की तरफ बार बार हाथ बढ़ाने वाले अमेरिका को लेकर सवाल उठा रहे हैं।ब्रह्ना चेलानी ने शहबाज शरीफ को लिखे बाइडेन की चिट्ठी पर ट्वीट करते हुए कहा था, कि “जो बाइडेन ने, न केवल पाकिस्तान की नई सैन्य समर्थित सरकार को गले लगाया है, बल्कि आतंकवाद के मक्का देश के साथ “मजबूत साझेदारी जारी रखने” की भी प्रतिज्ञा की है। अमेरिका, पाकिस्तान को बचाए रखने में मदद कर रहा है और साथ ही उसके F16 बेड़े का आधुनिकीकरण कर उसे भारत के खिलाफ और अधिक शक्तिशाली बनाने में मदद कर रहा है।”इतिहास गवाह रहा है, कि अमेरिका ने पाकिस्तान को सामने रखकर किस तरह से भारत को धोखे दिए हैं और पाकिस्तानी आतंकवाद का अमेरिका ने किस हद तक समर्थन किया है, लिहाजा भारत को पैंतरेबाज अमेरिका से सावधान रहने की जरूरत है।