मूसेवाला की हत्या से करीब एक माह पहले आरोपियों के दो साथियों अक्शे व रूपेश को गंगानगर सीआईए पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इनको आरोपी केशव ने ही कमरा दिलाया था। लेकिन उक्त दोनों के पकड़े जाने के बाद आरोपी केशव भी बठिंडा से चंडीगढ़ जाकर छिप गया था।
केशव वर्ष 2020 में मुक्तसर की जेल में बंद था। वहां उसकी जान पहचान हरजिंदर सिंह से हुई। दिसंबर 2021 में हरजिंदर सिंह ने केशव की पहचान गोल्डी बराड़ से फोन के जरिये करवाई थी।
इसके बाद अप्रैल 2022 में केशव की गोल्डी से फिर बातचीत हुई। गोल्डी ने केशव को अक्शे व रूपेश के रहने का इंतजाम करने को कहा। तीन दिन बाद केशव चंडीगढ़ से अमृतसर चला गया था। वहां पर उसने गोल्डी बराड़ से पैसे मंगवाए। इसके बाद केशव अमृतसर से गाड़ी की नंबर प्लेटें लेकर फतेहाबाद पहुंचा। फतेहबाद में जिस लड़के ने केशव से नंबर प्लेटें ली थीं, कुछ समय बाद वही बोलेरो गाड़ी लेकर केशव के साथ पहुंचा था।
सूत्रों ने बताया कि केशव व एक लड़का उस दिन गांव रत्ता टिब्बा में रहे और अगले दिन उनको प्रियव्रत फौजी और अंकित सेरसा मिले थे। इनको लेकर केशव बोलेरो गाड़ी से डबवाली पहुंचा था। मूसेवाला की हत्या करने के लिए जिस बोलेरो गाड़ी का इस्तेमाल किया गया था, उसका असल नंबर दिल्ली का था। जबकि कोरोला गाड़ी को जग्गू के शूटर मनप्रीत एवं जगरूप रूपा लेकर आए थे।