कश्मीर के अलावा मेरी रुचि किसी भी चीज़ में नहीं: सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद जस्टिस कौल- प्रेस रिव्यू

मलैंगिक विवाह और अनुच्छेद 370 जैसे कई अहम फ़ैसले देने वाली पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस संजय किशन कौल सात साल बाद सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए हैं.

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए ख़ास इंटरव्यू में अपने भविष्य की योजनाओं पर बातचीत के दौरान कहा कि वह अब सिर्फ़ आराम करना चाहते हैं.

वह अपना अधिकांश समय कश्मीर में बिताना चाहते हैं.

इसके लिए वह अपने 90 साल पुराने पुश्तैनी घर को दोबारा बनवाएंगे. वो कहते हैं कि ये झील के किनारे एक हेरिटेज प्रॉपर्टी से जिसके पुनर्निमाण की मंज़ूरी उन्हें मिल गई है. वह अब अपने नाती-पोतों के साथ समय बिताना चाहते हैं.

हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या वह राज्यसभा भी जा सकते हैं तो उन्होंने कहा कि वह ऐसे पदों के लिए नहीं बने.

जस्टिस कौल ने कहा, “हां, मेरी कश्मीर में विशेष रुचि है. मैं वहां अमन और चैन देखना चाहता हूं. मैंने अनुच्छेद 370 पर दिए फ़ैसले में जो लिखा, वही असल में मानता भी हूं. मैं जानता हूं कि इसकी कुछ आलोचना भी हुई, लेकिन मुझे इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता. कश्मीर का बनना, इसका भारत में शामिल होना, और इस विलय की प्रक्रिया ख़ुद में ही एक केस है. मेरा मानना है कि इसे चरणबद्ध तरीक़े से पूरी तरह विलय करना चाहिए थे.”

कुछ आलोचकों का कहना है कि न्यायपालिका संदेह की स्थिति में फ़ैसले सरकार के पक्ष में दे रही है, जिसका संसद में मज़बूत बहुमत है.

इस सवाल के जवाब में जस्टिस कौल ने कहा, ”यह आलोचना हर फ़ैसले में सही नहीं है. रफाल के फ़ैसले में मैं शामिल था और मेरा ख़ुद का मानना था कि हमें कॉन्टैक्ट्र पर फ़ैसला नहीं सुनाना चाहिए. अनुबंधों से जुड़े मामलों में मेरी न्यायिक सोच यही है. हाई कोर्ट में लंबे समय टेंडर से जुड़े मामलों को मैं देखता रहा हूँ. इन मामलों को देखने के लिए बहुत सीमित पैमाने हैं. इनसे व्यावसायिक गतिविधियां प्रभावित होंगी.”

जस्टिस कौल से ये भी सवाल किया गया कि क्या मौजूदा सरकार ही आक्रामक है या फिर बहुमत से आने वाली हर सरकार आक्रामक हो जाती है.

इस पर उन्होंने कहा, “1950 से बात करते हैं. तबसे आई हर सरकार ही थोड़ी बहुत मुश्किल रही है लेकिन ये काम का हिस्सा है. उन्हें किसी की दखलअंदाज़ी पसंद नहीं आती और न्यायपालिका का तो काम ही है सब संतुलित रखना. ये न्यायपालिका के काम की प्रकृति ही है. आप इंदिरा गांधी के समय को देखिए या फिर पंडित नेहरू के समय को…जब उन्होंने बहुमत से सरकार बनाई… तो आपने देखा कि क़ानून में कितने बदलाव किए गए. आज के समय में कई बदलाव वहां हो रहे हैं जहाँ सरकार अपनी आर्थिक नीति लागू करना चाहती है.”

इसराइली हमले के बाद मलबे पर बैठा फ़लस्तीनी बच्चाहमास से जंग में इसराइल को बड़ा नुक़सान

हमास के साथ जंग का असर अब इसराइल की अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है. एक शोध के अनुसार, इसराइल की अर्थव्यवस्था इस तिमाही में दो प्रतिशत तक सिकुड़ जाएगी.

अंग्रेज़ी अख़बार द टेलीग्राफ़ ने इसराइल के थिंक टैंक ताउब सेंटर फॉर सोशल पॉलिसी स्टडीज़ की रिसर्च के हवाले से ये बताया है कि हमास के साथ जंग की वजह से हज़ारों श्रमिकों को विस्थापित होने और रिज़रविस्ट के तौर पर सेना में बुलाए जाने की वजह से इसराइली अर्थव्यवस्था सिकुड़ सकती है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्टूबर महीने में इसराइली श्रम बाज़ार से क़रीब 20 फ़ीसदी वर्कफ़ोर्स ग़ायब था. ये जंग शुरू होने से पहले के आंकड़ों की तुलना में तीन फ़ीसदी अधिक था.

बेरोज़गारी में बढ़ोतरी के आंकड़ों में इसकी झलक साफ़ दिख रही है कि क़रीब नौ लाख लोग या तो जंग में शामिल होने के लिए बुलाए गए, या ये अपने बच्चों की देखरेख के लिए घर पर हैं क्योंकि स्कूल बंद हैं और या फिर इन्हें ग़ज़ा और लेबनान से सटती सीमाओं के पास से कहीं और भेज दिया गया है. साथ ही कई लोगों के उद्योग भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर महीने से लेकर अभी तक कुछ बच्चे स्कूल लौट पाए हैं और कुछ विस्थापित इसराइली ही सुदूर इलाकों से अपना काम जारी रख पा रहे हैं. इसके बावजूद इतने व्यापक जंग का अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर होगा, ख़ासतौर पर तब जब युद्ध का कोई अंत फ़िलहाल नहीं दिख रहा.

अब अर्थव्यवस्था के वृद्धि दर का जो पूर्वानुमान था उसे भी घटा दिया गया है. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अब अर्थव्यवस्था सिर्फ़ 0.5 फ़ीसदी की दर से ही बढ़ पाएगी.

हालांकि, बैंक ऑफ़ इसराइल ने ये उम्मीद जताई है कि अर्थव्यवस्था में दो फ़ीसदी की दर से बढ़ोतरी होगी. इसके लिए उसने पिछली जंगों और फिर कोरोना महामारी के बाद उम्मीद से जल्दी अर्थव्यवस्था के उबरने का हवाला दिया है.

अख़बार ने बैंक ऑफ़ इसराइल के पूर्व गवर्नर और इसराइल डेमोक्रेसी इंस्टिट्यूट के वाइस प्रेजिडेंट कार्नित फ्लग के हवाले ले सिखा है, “ये इतने सारे अनुमान जो हम देख रहे हैं वो इस पर निर्भर करता है कि ये युद्ध कितना लंबा और तेज़ होता है.”

युद्ध शुरू होने के बाद रविवार तक इसराइल में एक लाख 91 हज़ार 666 लोगों ने बेरोज़गारी भत्ता के लिए आवेदन दिया है. ताउब सेंटर के अनुसार, इनमें से अधिकांश लोगों का कहना है कि उन्हें जबरन बिना वेतन के छुट्टी लेनी पड़ रही है.

क़रीब तीन लाख 60 हज़ार रिज़र्विस्टों को अक्टूबर में ड्यूटी पर तैनात किया गया है. साल 1973 में हुए अरब-इसराइली युद्ध के बाद से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में सेना के लिए रिज़र्विस्टों को जुटाया जा रहा है.

स्पेन में भारतीय शतरंज खिलाड़ियों का कीमती सामान चोरी

स्पेन के सिटजस में सनवे टूर्नामेंट का हिस्सा बनन गए छह भारतीय शतरंज खिलाड़ियों का सामान चोरी हो गया. इसमें लैपटॉप, कैश, अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान सहित पासपोर्ट जैसी ज़रूरी दस्तावेज़ भी शामिल हैं.

इन खिलाड़ियों के साथ तीन अलग-अलग वारदातों का अंजाम दिया गया. जिनके सामान चोरी हुए उनमें ग्रैंडमास्टर संकल्प गुप्ता, इंटरनेशनल मास्टर दुष्यंत शर्मा, महिला ग्रैंडमास्टर श्रीजा शिशादरी, महिला इंटरनेशनल मास्टर मोनिका अक्षय, महिला इंटरनेशनल मास्टर अर्पिता मुखर्जी और महिला एफ़आईडीई मास्टर विश्व शाह शामिल हैं.

अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की ओर से 70 से अधिक खिलाड़ी इस इवेंट का हिस्सा बन रहे हैं.

चोरी का पहला मामला इसी महीने की 19 तारीख को ग्रैंडमास्टर संकल्प गुप्ता और इंटरनेशनल मास्टर दुष्यंत शर्मा के कमरे में सामने आया. इसके तीन दिनों बाद दो अलग-अलग कमरों में चोरियां हुई.

पहले कमरे में मोनिका अक्षय सहित पाँच खिलाड़ी थे. वहीं दूसरे कमरे में अर्पिता मुखर्जी और विश्व शाह को निशाना बनाया गया.

ये तीनों अपार्टमेंट उस बिल्डिंग में थे जिसे भारतीय खिलाड़ियों के लिए टूर्नामेंट के आयोजकों ने तय किया था. ये इवेंट वाली जगह से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर है. अभी तक किसी और देश के खिलाड़ी ने उनके अपार्टमेंट में चोरी की कोई शिकायत नहीं की है.

अख़बार से बातचीत में ग्रैंडमास्टर संकल्प गुप्ता ने कहा, “मेरा लैपटॉप, उसका चार्जर और एयरपॉड्स खो गए. मेरे रूममेट दुष्यंत का पासपोर्ट चोरी हो गया और उन्हें टूर्नामेंट छोड़कर अगले दिन भारतीय कॉन्सुलेट जाना पड़ा ताकि भारत वापसी के लिए दस्तावेज़ ले सकें.”

संकल्प और दुष्यंत के कमरे में जब चोरी हुई, उस समय वे दोनों मैच खेल रहे थे. दूसरी चोरी तब हुई जब पाँच खिलाड़ी 45 मिनट के लिए टहलने निकले थे. वहीं तीसरी चोरी उस समय हुई जब खिलाड़ी कमरे में सो रहे थे.

वहीं आयोजकों ने अपने बयान में कहा है कि दरवाज़े और खिड़कियां सही से बंद न करने की वजह से संभवतः ये वारदातें हुईं.

मोनिका अक्षय ने कहा, “आयोजकों ने हमें शिकायत दर्ज करवाने में मदद की लेकिन पुलिस ने हमारे सामने ही कहा कि इसका कोई फ़ायदा नहीं होगा.”

वीवो के कर्मचारियों की गिरफ़्तारी पर चीन ने भारत को दी नसीहत

प्रवर्तन निदेशालय के वीवो के तीन कर्मचारियों को गिरफ़्तार करने के बाद अब चीन ने कहा है कि वह इन कर्मियों को कॉन्सुलर एक्सेस देगा.

चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि वह इस केस को करीबी से देख रहा है और गिरफ्तार कर्मचारियों को कॉन्सुलर एक्सेस दिया जाएगा.

अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “भारत में चीन के दूतावास और वाणिज्य दूतावास कानून का पालन करते हुए इन दोनों को कॉन्सुलर प्रोटेक्शन और मदद देगा.”

उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें उम्मीद है भारत चीन की कंपनियों को काम करने के लिए ‘गैर-भेदभावकारी’ माहौल देगा.

प्रवर्तन निदेशालय ने वीवो इंडिया के सीईओ टेरी, चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर हरिंदर दहिया, कंसलटेंट हेमंत मुंजाल, लावा इंटरनेशनल के एमडी हरी ओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन और चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग, राजन मलिक को गिरफ़्तार किया है.

इसी महीने ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि वीवो ने साल 2014 से 2021 के बीच शेल कंपनियों के ज़रिए एक लाख करोड़ रुपये का कालाधन विदेशों में भेजा.

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