पश्चिम बंगाल स्कूल घोटाले पर सुनवाई के दौरान SC की सख्त टिप्पणी, विदेशों का जिक्र कर कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल स्कूल घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि केवल अभियोजकों को ही नहीं, बल्कि हर एक वकील के पास जब तक मान्यता प्राप्त कानून अकादमी से प्रमाण पत्र न हो, उन्हें प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

विदेशों में तो यही रूल है. जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा कि अगर न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों के पास न्यायिक अकादमी है, तो वकीलों के लिए क्यों नहीं?

यह टिप्पणी तब आई जब वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को बताया कि एक वकील ने समन आदेश के बावजूद जमानत याचिका दायर की थी. इस पर जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि वकील के प्रैक्टिस लाइसेंस का समय-समय पर नवीनीकरण किया जाना चाहिए. जैसा कि अमेरिका और अन्य देशों में होता है. जस्टिस की टिप्पणी के बाद लूथरा ने भी उनकी बात पर सहमति जताई. कहा कि मैं भी आपकी बात से सहमत हूं. ऐसा होना भी चाहिए.

बता दें, पश्चिम बंगाल स्कूल घोटाला साल 2014 का है. तब पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (SSC) ने पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती निकाली थी. यह भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी. उस वक्त पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे. इस मामले में गड़बड़ी की कई शिकायतें कोलकाता हाईकोर्ट में दाखिल हुई थीं. हाल ही में जनवरी महीने में इस मामले में ईडी ने फिर से छापेमारी की थी. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीमों पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के करीबियों के परिसरों की तलाशी ली. इसके लिए एजेंसी ने कोलकाता में तीन स्थानों पर एक साथ रेड की. ईडी ने छापेमारी की कार्रवाई केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की मौजूदगी में की. ईडी ने जिन तीन जगहों पर छापेमारी की है. उनमें से एक स्कूल नौकरी मामले के आरोपी प्रसन्ना रॉय के करीबी सहयोगी रोनित झा का आवास है, जो हाल ही में जमानत पर रिहा हुए हैं.

ओएमआर में हेराफेरी मिली

जानकारी के मुताबिक, रॉय के करीबी सहयोगी होने के अलावा झा को राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और तृणमूल कांग्रेस विधायक जीबन कृष्ण साहा का भी करीबी माना जाता है. मामले में कथित संलिप्तता को लेकर चटर्जी और साहा फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. झा उर्फ छोटू अपने इलाके में एक रियल एस्टेट प्रमोटर के रूप में जाने जाते हैं. ईडी की ताजा छापेमारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हालिया निष्कर्षों से मेल खाती है. सीबीआई भी इस मामले में समानांतर जांच कर रही है. अभी तक की जांच में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए भर्ती परीक्षाओं के मामले में एक ही रोल नंबर में कई पंजीकरण किए गए थे.

बदली गई थी पीडीएफ फाइलें

सीबीआई को लिखित परीक्षाओं में इस्तेमाल की जाने वाली ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट में बड़े पैमाने पर हेराफेरी के बारे में भी महत्वपूर्ण सुराग मिले. जांच एजेंसी ने पोर्टल के लघुगणक में संशोधनों की भी पहचान की, जहां अनियमितताओं के संचालन के उद्देश्य से संशोधनों की सुविधा के लिए पीडीएफ फाइलों को टेक्स्ट मोड में परिवर्तित किया गया था. ईडी ने दिसंबर 2023 में भी पार्थ चटर्जी के करीब टीएमसी पार्षद को भी इस मामले में पिछले महीने पूछताछ के लिए समन दिया था.

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