मर्यादित जीवन की सीख देती राम कथा

मर्यादित जीवन की सीख देती राम कथा

 

राम का चरित्र अनुकरणीय है। जो कोई प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर चलने का संकल्प ले ले,तो उसका जीवन धन्य हो जाता है।यह बात क्षेत्र के बरतला आश्रम परिसर में आयोजित संगीतमय श्री राम कथा के दौरान कथावाचक प्रेम मूर्ति आयुष कुमार ने कही।

 

कहा कि जीवन की सार्थकता के लिए अध्यात्म व धर्म का अनुसरण बहुत जरूरी है। कहा श्री राम कथा आदर्श पथ पर चलने की प्रेरणा देती है। भगवान राम का चरित्र जहां एक ओर पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को दर्शाता है। वही दूसरी ओर जाति पाती के भेदभाव को मिटाकर मानव मात्र में सौहार्द की भावना जगाता है। भगवान श्रीराम ने अहिल्या का उद्धार करके यह बताया कि महान वो है जो पतित प्राणियों को पावन बनाकर समाज की मुख्य धारा मे जोड़ दें। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने मिथिला पुरी का भ्रमण बड़ी शालीनता के साथ किया। राम और लक्ष्मण के आगमन की सूचना मिली तो लोग धाम और काम दोनों को ही छोड़कर अत्यंत विह्वल होकर राम के दर्शनों के लिए दौड़ पड़े। होली और दिवाली जैसे पर्व खुशियों के रंग और आध्यात्मिक प्रकाश की ऊर्जा को बढ़ाते हैं।वही पाश्चात् संस्कृति से आए पर्व हमारी युवा पीढ़ी को भ्रमित कर रहे हैं।मर्यादित जीवन के सूत्रों को रामकथा से ही सीखा जा सकता है।

 

रामकथा के आध्यात्मिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए कथावाचक कहा कि यूं तो कई रामायण लिखी गईं, लेकिन वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण ज्यादा प्रामाणिक मानी गई क्योंकि भगवान वाल्मीकि राम काल के थे।, उन्होंने जो देखा वह लिखा, बाद में जन श्रुतियों के आधार पर लिखी गईं रामायण यहां तक कि तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीराम चरित मानस में भी कई बदलाव हुए। श्री राम कथा के पूर्व में यज्ञ का संचालन किया सर्वेंद्र नाथ दीक्षित ने किया। कार्यक्रम के आयोजक रामपाल बाबा ने बताया कि बरतला आश्रम में 14 नवंबर को शनि महाराज मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा व श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जायेगा। 29 जुलाई को कथा समापन के बाद विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा।

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